प्रदेशव्यापी रोजगार आंदोलन बेहद जरूरी फर्जी आंकड़ेबाजी के जवाब के लिए : राजेश सचान

प्रदेशव्यापी रोजगार आंदोलन बेहद जरूरी फर्जी आंकड़ेबाजी के जवाब के लिए : राजेश सचान

योगी सरकार के झूठे व फर्जी आंकड़ेबाजी का भण्डाफोड़ अभियान के क्रम में आज पुनः हम प्राथमिक विद्यालयों के संबंध में कुछ तथ्य सामने लाना चाहते हैं। आज मीडिया रिपोर्ट है कि प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में करीब 3 लाख शिक्षक नियुक्त हैं। गौरतलब है कि योगी सरकार के सत्तारूढ़ होने के वक्त यह संख्या करीब 4 लाख थी। इसके पूर्व अप्रैल 2016 में अखिलेश सरकार द्वारा केंद्र को प्रेषित रिपोर्ट में प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 5.32 लाख और प्रधानाचार्य के 66, 498 स्वीकृत पद दिखाए गए हैं। इसमें से 1.54 लाख शिक्षक व प्रधानाचार्य के पद रिक्त थे। अगर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को देखा जाये तो स्वीकृत पदों की संख्या 7.6 लाख बताई गई थी।

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योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में क्रमशः 100 व 150 छात्र संख्या होने पर ही प्रधानाचार्य पद सृजित करने का प्रावधान कर करीब 1.25 लाख सृजित पदों को खत्म कर दिया। इसके बाद रही सही कसर राजीव कुमार कमेटी की संस्तुतियों से पूरी हो गई जिसके आधार पर 10 हजार से अधिक प्राथमिक स्कूलों को बंद करने की सिफारिशकि गई है। अगर अखिलेश सरकार में सृजित पदों को आधार बनाया जाये तो प्राथमिक विद्यालयों में 2.5 लाख से ज्यादा शिक्षकों की कमी है। लेकिन बड़े पैमाने पर पदों को खत्म करने के बाद भी प्रदेश में डेढ़ लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं।

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लेकिन योगी सरकार का दावा है कि 1.25 लाख शिक्षकों को नौकरी देकर रिकार्ड बनाया है और अब अगली सरकार में ही भर्ती होगी। कौन नहीं जानता कि 1.25 लाख शिक्षकों की नियुक्ति वास्तव में नयी भर्ती के बजाय इनके ही कार्यकाल में बर्खास्त हुए 1.37 लाख शिक्षकों के रिक्त हुए पदों के एवज में है जो पहले रिक्त पद थे उन्हें भरने के लिए तो योगी सरकार ने एक भी पद के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू ही नहीं की।

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इसी तरह अगर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि मौजूदा वक्त में 16 लाख कर्मचारी हैं जबकि 2015-16 में यह संख्या 16.5 लाख थी। लाखों स्वीकृत पदों को खत्म करने के बाद भी आज प्रदेश में तकरीबन 5 लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं। प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति का जिक्र ऊपर किया जा चुका है, इसके अलावा विभिन्न विभागों में जिन भी नियुक्तियों को किया गया है, मोटे तौर पर आंकड़े बताते हैं कि उनसे कहीं ज्यादा रिटायरमेंट हुआ है। दरअसल योगी सरकार का मिशन रोजगार का प्रोपैगेंडा ही झूठे, भ्रामक व फर्जी आंकड़ों पर आधारित है। सच्चाई यह है कि प्रदेश में बेकारी चरम पर है और हालात इतने खराब हैं कि एमटेक, बीटेक, पीएचडी, एमबीए जैसी डिग्री धारक युवा 5-6 हजार की मानदेय की नौकरियों के लिए बड़े पैमाने पर आवेदन कर रहे हैं। आप सभी से अपील है रोजगार आंदोलन को सफल बनाने के लिए हर स्तर पर सहयोग करें।

 

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