मोदी सरकार 10 और PSU कंपनियों को बेचने की तैयारी में है

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वित्त वर्ष के लिए विनिवेश का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए रखा गया

नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष के लिए विनिवेश का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए रखा गया है. इसे पाने के लिए सरकार 10 और पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स में विनिवेश की योजना बना रही है. इसके लिए पूरी तरह निजीकरण का रास्ता अपनाया जा सकता है या फिर सरकार इसमें अपनी हिस्सेदारी मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग नॉर्म्स के तहत रखेगी.

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एक रिपोर्ट के मुताबिक Niti Aayog और विनिवेश के लिए जिम्मेदार DIPAM इस विषय पर मिलकर रोडमैप तैयार करेगा. जानकारी के मुताबिक 7 पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स- NLC, KIOCL, SJVN, HUDCO, MMTC, GIC और न्यू इंडिया इंश्योरेंस पर चर्चा की गई है. माना जा रहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2023-24 के बीच सरकार तीन और PSU को लेकर विनिवेश की दिशा में आगे बढ़ेगी. इसके लिए IRFC, RVNL और मझगांव डॉक का नाम सामने आ रहा है. इन तीन सरकारी कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदार घटाकर मिनिमम कर देगी.

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SEBI के नियम के तहत पब्लिक सेक्टर कंपनियों के लिए मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग 25 फीसदी होना जरूरी है. इस समय 19 PSU ऐसी हैं, जहां सरकार के लिए स्कोप बना हुआ है. बता दें कि सरकार ने निजीकरण और विनिवेश की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए 4 फरवरी 2021 को एक नई PSE पॉलिसी को लागू किया था. इसके तहत पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स को स्ट्रैटिजीक और नॉन-स्ट्रैटिजीक कैटिगरी में बांटा गया है.

सरकार की योजना के मुताबिक वह स्ट्रैटिजीक तौर पर अहम सेक्टर में अपनी हिस्सेदारी मिनिमम रखेगी. इसके अलावा नॉन स्ट्रैटिजीक सेक्टर के लिए वह निजीकरण और विनिवेश के रास्ते पर आगे बढ़ेगी.

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इधर नीति आयोग ने विनिवेश संबंधी सचिवों की कोर समिति को उन सरकारी बैंकों के नाम सौंप दिए हैं जिनका विनिवेश प्रक्रिया के तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में निजीकरण किया जाना है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी. नीति आयोग को निजीकरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंको और एक बीमा कंपनी का नाम चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में निजीकरण से जुड़ी घोषणा की गई थी.

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