’36 में से केवल 15 अस्पतालों में चल रहा इलाज’; इस्राइल-हमास युद्ध के बीच गहराते मानवीय संकट से WHO चिंतित


 इस्राइल में बीते सात अक्तूबर को आतंकी संगठन हमास के आतंकी हमलों के बाद, गाजा पट्टी में इस्राइल डिफेंस फोर्सेज (IDF) का जवाबी हमला जारी है। ढाई महीने से अधिक समय से जारी युद्ध के बीच WHO ने कहा है कि गाजा की जनसंख्या ‘गंभीर संकट’ में है। डब्ल्यूएचओ ने कहा, गाजा पट्टी के 36 अस्पतालों में से केवल 15 ही काम कर रहे हैं। अस्पतालों में मेडिकल सप्लाई की किल्लत भी चिंताजनक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख ने युद्धग्रस्त फलस्तीनी क्षेत्र में तीव्र भूख और हताशा का हवाला दिया। बुधवार को जारी चेतावनी में संगठन के प्रमुख टेड्रोस गेब्रेयेसस ने कहा कि गाजा की आबादी ‘गंभीर संकट’ में है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गाजा के गंभीर संकट को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया। डब्ल्यूएचओ के आकलन के अनुसार, गाजा में 13 अस्पताल आंशिक रूप से काम कर रहे हैं। दो बेहद कम सुविधाओं के साथ संचालित हैं। 21 अस्पताल पूरी तरह ठप हैं।

भूख से संघर्ष कर रहे लाखों लोग, मेडिकल सप्लाई भी बाधित
WHO प्रमुख ने कहा कि चिंताजनक चोट, तीव्र भूख और बीमारी जैसे जोखिम से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को आगे आना होगा। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि भूख से जूझ रहे लोगों ने भोजन खोजने की उम्मीद में उनका काफिला रोका। इससे अस्पतालों में दवाओं और चिकित्सा आपूर्ति लगातार बाधित हो रही है।

UN में निर्बाध मानवीय सहायता का आह्वान; जमीन पर प्रभावी नहीं
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा, पूरे गाजा में तुरंत पहुंचने वाले अधिक भोजन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के कर्मचारियों की सुरक्षा के साथ-साथ अस्पतालों में मेडिकल सप्लाई की निरंतरता भी निर्भर है। पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्ताव में ‘बड़े पैमाने पर सुरक्षित और निर्बाध मानवीय सहायता का आह्वान किया गया था। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव मानवीय सहायता की दृष्टि से आशा की किरण है, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी तक इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।

दो अस्पतालों में 60 हजार से अधिक लोग
डब्ल्यूएचओ की टीमों ने मंगलवार को दो अस्पतालों – उत्तर में अल-शिफा और दक्षिण में अल-अमल फलस्तीन रेड क्रिसेंट सोसाइटी का दौरा किया। इसका मकसद मेडिकल सप्लाई और जमीनी हालात का आकलन था। WHO के मुताबिक, अल-शिफ़ा में कथित तौर पर 50,000 लोगों ने शरण ली है। 14,000 लोग अल-अमल में हैं। फिलहाल नागरिकों को हिंसा से बचाने और अस्पतालों की बुनियादी सुविधाओं को दोबारा बहाल करने की तत्काल जरूरत है।

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