Pope Francis: ‘बेहद गंभीर AI की चुनौतियां, अंतरराष्ट्रीय संधि जरूरी बचाव के लिए’; पोप विश्व शांति दिवस पर बोले


 

Pope Francis: बदलते दौर के साथ अत्याधुनिक तकनीक अपने साथ कई खतरे लेकर भी आती है। डीपफेक जैसी तकनीक का शिकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसी शख्सियत भी हो चुकी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी  कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) भी मानवता के लिए बड़ा खतरा बनकर उभर रही है। तकनीकी चुनौतियों की गंभीरता को देखते हुए ताजा घटनाक्रम में पोप फ्रांसिस ने विश्व शांति दिवस के लिए अपना वार्षिक संदेश जारी किया है। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता को विनियमित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधि का आह्वान किया।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तकनीक में आए दिन हो रहे बदलाव और विकास के बीच पोप फ्रांसिस ने इस तकनीक के नैतिक उपयोग पर बल दिया। उन्होंने कहा, करुणा, दया, नैतिकता और क्षमा जैसे मानवीय मूल्य कम होते जा रहे हैं। पोप ने एआई के इस्तेमाल के दौरान मौलिक मानवाधिकारों की गारंटी, शांति को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने गलत सूचना फैलाने की साजिश, भेदभाव को बढ़ावा के साथ-साथ सूचना / तस्वीरों को गलत तरीके से पेश करने की प्रवृत्ति को सबसे महत्वपूर्ण चिंता करार दिया।

बता दें कि प्रौद्योगिकी में इनमें से कोई मूल्य न होने के कारण इसके खतरे और बड़े हैं। वेटिकन की तरफ से फ्रांसिस का संदेश जारी किया गया। बता दें कि विश्व शांति दिवस पर हर साल पोप का वार्षिक संदेश जारी होता है। कैथोलिक चर्च हर साल एक जनवरी को शांति दिवस मनाते हैं।

फ्रांसिस की अपील को व्यक्तिगत भी माना जा रहा है। दरअसल, इसी साल की शुरुआत में उनकी एआई तकनीक से डेवलप की गई फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इस फोटो में पोप फ्रांसिस को लक्जरी सफेद पफर जैकेट पहने दिखाया गया था। इस उदाहरण के आधार पर तकनीक के जानकारों ने माना कि डीपफेक इमेजरी जैसी तकनीकों के लिए सरहदों की सीमाएं बेमानी हैं। ऑनलाइन इसे निरंकुश तरीके से फैलाया जा सकता है।

गौरतलब है कि पोप के संदेश से पहले यूरोपीय संघ (EU) के वार्ताकारों ने दुनिया के पहले व्यापक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नियमों को अनंतिम रूप से मंजूरी दी है। इसके बाद उम्मीद की जा रही है कि ईयू के दायरे में आने वाले तमाम देश खुद तकनीकों का विनियमन बेहतर तरीके से करेंगे। इन नियमों को सरकारों के लिए स्वर्ण मानक माना जा रहा है।

बता दें कि आईटी वर्ल्ड में ओपनएआई के चैटजीपीटी जैसे अत्याधुनिक सिस्टम का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। पिछले साल से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तरफ भी दुनिया तेजी से खिंची जा रही है। इन तकनीकों का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स लोगों की तस्वीरों के अलावा टेक्स्ट और गानों के नए वर्जन से दुनिया को चौंका रहे हैं। हालांकि, ऐसी तकनीकों को नौकरियों, गोपनीयता और कॉपीराइट के साथ-साथ मानव जीवन के लिए भी बेहद खतरनाक माना जा रहा है। लोगों के मन में आशंकाएं लगातार बढ़ रही हैं।

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