देश के 714 जिलों ने खुद को मैला ढोने से मुक्त घोषित, सामाजिक न्याय मंत्रालय ने कही यह बात

 

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने कहा कि नवंबर तक देश के 766 जिलों में से 714 जिलों ने खुद को मैला ढोने से मुक्त घोषित कर दिया है। देश में चल रही जाति जनगणना बहस के बीच इस वर्ष अन्य पिछड़ा वर्ग के उप वर्गीकरण की जांच के लिए गठित रोहिणी आयोग ने जुलाई में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी हैं। हालांकि अभी इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।  

मंत्रालय के मुताबिक, सभी जिलों से अनुरोध किया गया है कि वे या तो खुद को मैला ढोने की प्रथा से मुक्त घोषित करें या इससे जुड़े अस्वच्छ शौचालयों और मैला ढोने वालों का डेटा “स्वच्छता अभियान” मोबाइल ऐप पर अपलोड करें। साथ ही कहा कि 2021 में लॉन्च की गई यूनिक डिसेबिलिटी आईडी (यूडीआईडी) में इस वर्ष एक करोड़ कार्ड जारी किए गए हैं। 

‘कई रेलवे स्टेशनों को बनाया गया सुगम्य’
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, कम से कम 709 रेलवे स्टेशनों को पूरी तरह से सुगम्य बनाया गया है और 4068 रेलवे स्टेशनों को आंशिक रूप सुगम्य बनाया गया है। 2023 में सभी 35 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों और 69 घरेलू हवाई अड्डों में से 55 ने दिव्यांगों के लिए रैंप, सुलभ शौचालय, हेल्प डेस्क और ब्रेल और श्रवण सूचना प्रणाली के साथ लिफ्ट जैसी पहुंच सुविधाएं प्रदान कीं। आंकड़ों के मुताबिक, 2839 राज्य सरकारी भवनों को सुलभ बनाने के लिए चुना गया है। 

वित्तीय बोझ कम करने की पहल- मंत्रालय
विकलांगता मामलों के विभाग ने समय पर पुनर्भुगतान के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम ऋण के तहत दिव्यांगजन उधारकर्ताओं को एक प्रतिशत ब्याज दर में छूट की घोषणा की। मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य वित्तीय सहायता चाहने वाले दिव्यांग व्यक्तियों पर वित्तीय बोझ को कम करना है, साथ ही जिम्मेदार पुनर्भुगतान प्रथाओं को बढ़ावा देना है। यह समावेशिता को बढ़ावा देने और सभी नागरिकों के लिए उनकी क्षमताओं की परवाह किए बिना वित्तीय अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

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